Wednesday, July 22, 2009

झुंगाझुरा-झुंगाझुरा झांय-झांय...

--- झनकर तें टेमनी टूरी टांय-टांय..
---- टेमनी टूरी ही क्यों टायं –टांय करती हैं ...
---- हर कोई इनसे परेशान रहता है ....
---- मगर करता कुछ नहीं .. बस मन मसोस कर रह जाता है ..
---- टेमनी टूरी के प्रकोप से... शुरु से ही लोग भुक्तभोगी रहे हैं ...
--- महुआ बीनने में भी बाजी वो ही मार ले जाती थी ...
--- दोपहर घर लौटने पर पूरा घर, पड़ोसवाली टेमनी टूरी का गुणगान गाता रहता था..
---- घर वाले कहते थे टेमनी के महुआ बीनने की कला.. और अदा, तारीफे काबिल है
--- थोड़ा बड़े हुए तो स्कूल में भी किसी टेमनी का..जलवा बरकरार था ...
--- मास्साहब की वो खास थी ... सो उसके सब किए माफ थे..
--- हर हफ्ते वो नए बहाने और नई दिक्कतों को उभार कर गोल मार जाती थी..
--- हमने कभी वाजिब कारणों से भी गोल मारा तो गजब लात खाई ...
--- थोड़ा बड़े हुए तो कालेज में टेमनी ने जलवा दिखाया ...
--- टेमनी को प्रोफेसर साहब बहुत बारीकी से समझाते थे ...
--- हमने कुछ जानना चाहा तो शिकायत घर तक ...
--- निरा बुद्बू को किसने बीएससी करने को कहा ...
--- टेमनी को प्रेक्टिकल में नंबर इतने कि बेहोशी में उसके फ्राक उड़ गए ...
--- और काम में लगे तो 21 सदी के टेमनी से पाला पड़ा ...
--- दइया... रे... दइया.. गजब प्रतिभा का उभार था उसके में ...
--- लोग बताते थे कि उसकी प्रतिभा उभारने में कईयों ने मेहनत की थी ..
--- मेहनत सार्थक रही सो टेमनी में वो परिलक्षित था...
--- टेमनी टूरी हर जगह हैं ...
--- उसके किरदार अलग-अलग हैं ...
--- इनके वर्चस्व पीडि़त लोगों की व्यथा कांय-कांय लगती है ..
--- सक्षम पुरुष वर्ग हमेशा से इनके टांय-टांय पर मोहित रहा है ....
--- हर जगह इनका बोल-बाला है ... इसे ऐसे समझ लें तो अच्छा होगा ...
---- बच्चों को पप्पी देती मस्त – मस्त टूरियां ...
---- लाल – हरी, नीली –पीली टप्प – टप्प टूरियां ....
---- रंग – बिरंगी चोंचवाली की कई तरह की टूरियां...
--- चोंच वाली टेमनी होने का लाभ भी बहुत है ...
--- काम हो गया तो टांय—टांय ...
--- नहीं कर पाए तो कांय – कांय ....
-- ये सब जगह विद्यमान है चाहे राजनीति, फिल्म .. घर .. पड़ोस ..या आफिस ----- ---- इनका प्रकोप माहो कीट की तरह है ...
--- शिकायत करने पर इनका कुछ नहीं होता बल्कि और घेर लेती हैं...
--- यकीन मानिए ये घेर ले तो अपने भी साथ छोड़ देते हैं...
--- आपको भी इसका अनुभव होगा ...
--- वो अलग बात है कि आप बताना नहीं चाहते...
--- शिकायत करो तो सक्षम लोग कहते हैं कि टेमनी के पास जो है तुम्हारे पास नहीं
--- कहना वाजिब था मगर अब नई व्यवस्था के तहत ये तर्क बेवाजिब हो गए हैं ...
--- कई जगह घूम आया मगर टेमनी- टेमनी ही रही और लोग लात खाते रहे ...
--- हमारे लतिये जाने पर टेमनी की मुस्कुराहट पर अपने भी मुस्कुरा पड़ते है...
--- ऐसे में टेमनी से सेंटिग में ही भलाई है ... लतिया दिए जाने से राहत रहती है ...
--- अब शरमाओ मत.. कही लतिआए गए हो साथ में दुआ करो..
--- कि भगवान .. प्रेमी को प्रेमिका .. सटोरिए को नम्बर ...हुस्न को अदा ..
--- पत्नी को पति .. रिपोर्टर को खबर .. पत्रकार को विज्ञापन दो न.. दो..
--- बस .. टेमनी टूरी के झुंगाझुरा का जलवा कम कर दो..

- संजीव शुक्ल, रायपुर

3 comments:

  1. ब्लॉग की दुनिया में स्वागत है... सच कहा है... हर जगह हैं टेमनी... आपके आस पास भी.... अररररर गलती हो गई... चलिए जनाब अब बोल दिया तो बोल दिया। खैर लिखते रहिए, चाहे टेमनी के साथ या टेमनी से लतियाए जाने के बाद... और कुछ वक्त मिले तो seedheebaat.blogspot पर कुछ सीधी बात पढ़ लें

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  2. किसी का दर्द टपकता है....खून से आह से या कराह से आपका टपका है.....ब्लॉग की बयार से....जिसमें समाई है सारे टिमनाओं की आह...और तरीफ करने वालों की वॉह....

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  3. क्या सर जी गजब का सहज ही कह देते हैं, मैं टेमनी तो ज्यादा तो नहीं समझ पाया, लेकिन इतना जरुर कहूंगा कि आपके ब्लाग को पढ़के.......टेमनी......के इस लेख को पूरी रात बीते दिनों में जरुर खोया रहा...क्या दिन थे ....
    आपका
    कमलेश पाण्डेय

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